कुराँ की जुबाँ, वेदों की जतन बनी रहे !
भारत की सर जमी ,बनी दुल्हन बनी रहे !!
भारत की सर जमी ,बनी दुल्हन बनी रहे !!
कोई ऊंचा न कोई नीचा हो
मन में तरंगी उमंग रहे
और हिन्द पताका ऊंचा हो
दौलत आनी जानी है, बस मन की कंचन बनी रहे !
भारत की सर जमी , बनी दुल्हन बनी रहे !!
इस पार गयीं, उस पार गयीं
न जाने किस किस पार गयीं
आवाज़ उठी जो आँगन से
घर की तुलशी , माटी में चन्दन बनी रहे !
भारत की सर जमी ,बनी दुल्हन बनी रहे !!
छूटा कोई अपना रूठ न जाय
सुनी सुनाई बातों से बस
प्रेम की रेशम टूट न जाय
मत जुदा हों पर, दिल की मिलन बनी रहे !
भारत की सर जमी , बनी दुल्हन बनी रहे !!
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