खेल है सब, कायनात फूँक देता है
कौन बेरहम है दिनों-रात फूँक देता है
खुदा की मर्जी या रश्मे-इश्क में कोई
ले हाथ में समां हाथ फूँक देता है
रूह जल रही है, और इश्क है
कि जिस्म भी साथ फूँक देता है
जो दर्द माजी का जा जा के लौटता है
वही दर्द 'हातिफ' हयात फूँक देता है.