जीवन का मंतर है पढ़ लूँ
इश्क एक खंजर है पढ़ लूँ
इश्क एक खंजर है पढ़ लूँ
ग़ज़लों को जो दर्द चाहिए
वो अपने अंदर है पढ़ लूँ
वो अपने अंदर है पढ़ लूँ
उग न सका वफ़ा का पौधा
दिल उसका बंज़र है पढ़ लूँ
दिल उसका बंज़र है पढ़ लूँ
भीतर - भीतर खारापन ये
दर्द - ए - समंदर है पढ़ लूँ
दर्द - ए - समंदर है पढ़ लूँ
हर डाल मज़ा लेते हैं गर
वफ़ा एक बंदर है पढ़ लूँ
वफ़ा एक बंदर है पढ़ लूँ
गुलशन कल सब मिट जायेंगे
खाक सदा सुंदर है पढ़ लूँ.
खाक सदा सुंदर है पढ़ लूँ.
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