Tuesday, May 18, 2010

परवाना तड़पता ही रहता है

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पहले सूखे पत्तों की आग थी
कुछ वक्त बाद दीये की
परवाना तड़पता भी था
और
मरता भी
मगर
आज युग ने पत्ते उड़ा दिये
खुला दीया भी नहीं मिलता
बल्ब की बिजली है
परवाना तड़पता ही रहता है
मगर
मरता नहीं.
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