Monday, April 25, 2011

काश मेरी हो तेरी ये मूरत





तुमको ही जाने,तुम्हे पहचाने
मेरा    वुजूद   को   जाना है ?
तेरी   ही   गलियाँ, तेरे दीवाने
तेरी   वजह   से   मैखाना  है !

तेरे   हुस्न   पे   दुनिया  नाचै,
जिसको  देखो  गुन तेरा बाचै,
हम तो भी अब लिखने लगे हैं
गान  भी  तेरा  करने  लगे हैं !

तेरे फिकर में  हम हुए आधा,
इस   श्याम   की  तू है  राधा,
तू  चन्दा  हम   सितार  हुए हैं
तेरी  यादों के बाज़ार  हुए हैं ! 

उफ़   ये  तेरी आँखें  समंदर ,
होता  नहीं  पर डूबने का डर,
डूब   गया  तो  मेरी किस्मत
काश  मेरी हो तेरी ये मूरत !!

 
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                                             -RITIK 'HATIF'

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