Thursday, February 17, 2011

!! दूर हूँ तुझसे मगर ,तेरा चाहने वाला हूँ !!

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नदी तीर पर कुटी नहीं
दूर रहा मै प्यासा हूँ
बिन पानी प्यास बुझेगी
खुद को देता दिलासा हूँ
तू यहाँ की विदुषी,मै भग्गा तहरीर वाला हूँI
दूर हूँ तुझसे मगर , तेरा चाहने वाला हूँII

करता हूँ प्यार अरसे से
तुम्हे मै बेगाना रख
सहता हूँ ग़मों को यूँ
खुद को परवाना रख
मूक दर्शक हूँ,जुबाँ पे लगाया ताला हूँI
दूर हूँ तुझसे मगर ,तेरा चाहने वाला हूँII

हाथों पे कुछ लकीरें हैं
उनमे मेरे जज्बात नहीं
चाहूं जिसे लाख मै
वो होता मेरे साथ नहीं
तू चाँद की संकाश,मै अँधियारा काला हूँI
दूर हूँ तुझसे मगर , तेरा चाहने वाला हूँII
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खबरदार

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खबरदार
ये खाना जंगी बंद कर
खर्राटे से कोई जग जायेगा
कुछ गालियाँ देगा तुझे
फिर
सो जायेगा
खबरदार
सकते से उठ
कारवें का इन्तजार छोड़
सई कर सही का
कारवाँ
तेरा इन्तजार करेगा.

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!! रिन्दगी से जिन्दगी !!

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एक रिन्द को गैरत हुयी
अँधेरे की ख्वाइश थी उसकी,
और जुगनू
देख लिया उसने  !

कई बलाओं की
हवेली का मालिक था,
स्वाँग बला का,कैसे भी चलता
चलाता था वह ,
जियादती हुयी एक दिन,
किसी इल्मी चराग ने
उसके किवाड़ पे आहट की,
और किवाड़
खोल दिया उसने  !


हर नजर ,हर धड़कन
शराबी थी,
वजह,उससे दूर
उसके दिल की पैराहन
गुलाबी थी,
उससे अच्छाई, सच के प्याले का
तकाजा करने आती थी,
हर बार ,वह टिकाऊ दिखा,
एक दिन मैकशी में
भूल हो गयी
और  प्याला
उठा लिया उसने  !


वह राजी नही था
अपनी रिन्दगी से,
एक लहजे में
खुद ही खुद को
जलाता बुझाता  रहता था
एक दिन मुंडेर पे बैठा  एक पंछी बोला
‘अब अँधेरा ही रहेगा ‘
चुपके से
उसने ख्वाइश बदल दी
जुगनू से दिल लगा
और अँधेरा
छोड़ दिया उसने  !!

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दिलासा (गीत )


न समझो गर तुम मेरे दिल को ,तो तेरे पीछे वफात न करना !
तू   सागर  सा  ले मज़ा  तो , फिर हमें  वर्षात न करना !!

पागलपन  की , की  है  सवारी
हारी  नहीं  और  मेरी   बीमारी
रहम  न चाहिये मुझे जरा कुछ
मंजूर  दर्द  की  रात    गुजारी

सब्र,तमन्ना-ए-दिल सब तोड़ा तुमने, अब तेरी याद की बारात न करना !
तू   सागर    सा    ले  मज़ा  तो , फिर  हमें  वर्षात  न  करना !!

नजर  मिले  तो  गोश  नहीं है
जिन्दा  हूँ मगर  होश  नहीं  है
दिली पंखुड़ी  की  चाह थी  तुम
उसे छोड़, तुम्हें अफ़सोस नहीं है

दूर चली  हो  तो दूर  रहो  अब ,हमें  भी  तेरा   साथ   न   करना !
तू   सागर  सा   ले  मज़ा  तो , फिर   हमें  वर्षात  न   करना !!

दिल  की  मन  पे प्रीत पटी  है
क्या  करने  की  सोच  घटी  है
नाम   चन्द  नजरों  में  धूमिल
टपक  रही  और  मेरी  कुटी  है

हाल-ए-ताहाल तेरे हाल से था मगर, हमें फिर ऐसी हालात न करना !
तू  सागर   सा  ले  मज़ा   तो, फिर  हमें  वर्षात  न  करना !!

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Wednesday, February 16, 2011

आशिकी का कमाल



हाल पूछने का आपका ख्याल अच्छा है !
बीमार हूँ ,फिर भी कहूँगा कि हाल, अच्छा है !!

उधर लैला की लैल सुर्ख लाल गुजरती है
इधर जिन्दगी मेरी इक सवाल ,अच्छा है !!

मै किसी का असीर-ए-कफस हो गया और
साथी दोस्तों से ,दूरी का भी बवाल अच्छा है !!

एहसानफरामोश के कपड़े की दुकान किस काम की
छलक-ए-आँसू को इक छोटा सा रुमाल अच्छा है !!

इधर मैकशी,रिन्दगी ने खोखला कर दिया है मुझे
उधर वेफिक्र उसका पैकर-ए-जमाल अच्छा है !!

जिन्दगी आशिकी की मुझसे ही चल रही ‘हातिफ’
और मुझे खत्म करने में, आशिकी का कमाल अच्छा है !!

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लैल- रात
असीर-कैदी
कफस-कैद
पैकर-ए-जमाल -हुस्न का एक एक हिस्सा