Monday, March 19, 2012

जमी पर आसमानी हो गया....





इस आसमानी चन्द्रमा के जाल में
मै  जमी  पर आसमानी हों  गया !
पुष्प  पंखुड़ी   सा  कोमल  कभी,
तो कभी  तीर कमानी  हो  गया !

लहू  के बादलों  का  फौज कभी
मोहिनी गीतों का मै मौज कभी
तो कभी पलकों का पानी हो गया,
इस आसमानी चन्द्रमा के जाल में
मै जमी पर आसमानी हो गया !

जिस याद का पुस्तक लिया
जिस प्रेम को  मस्तक दिया
प्रतिबिम्ब ही वह गुमानी हो गया,
इस आसमानी चन्द्रमा के जाल में
मै जमी पर आसमानी हो गया !

जीवन भ्रमर भ्रम बाँचती और
राह तवायफ-सी नाचती और
लक्ष्य पतझड़ की कहानी हो गया,
इस आसमानी चन्द्रमा के जाल में
मै जमी पर आसमानी हो गया !
 
_____________________

Saturday, March 17, 2012

तुम





आस तुम्हीं विश्वास तुम्हीं
मम हृदय की  खास तुम्हीं
सच्छास्त्रों  की  पात्र तुम्हीं 
दिवा  तुम्हीं  हो रात्र तुम्हीं 
तुम अनन्त  व्याकुलता हो
तुम प्रणय की सत पता हो
जीत तुम्हीं  हो  हार तुम्हीं
गीता  का  हो  सार तुम्हीं !

मम   दान  आदान  तुम्हीं
भूख तुम्हीं  मधुपान तुम्हीं
मम  हृदय  अनन्य  तुम्हीं
कृति  भू  पर  धन्य तुम्हीं
यौवन   की   परिभाषा तुम
याचक  की अभिलाषा तुम
भू  पर   हो  श्रृंगार  तुम्हीं
गीता  का  हो सार तुम्हीं !

शोध   तुम्हीं   प्रबोध  तुम्हीं
प्राणों   का   अनुरोध  तुम्हीं
मान तुम्हीं अभिमान  तुम्हीं
शब्द  तुम्हीं  हो   तान तुम्हीं
संगीत तुम्हीं मम जीवन की
ठहराव  तुम्हीं   मेरे मन की
मध्य  तुम्हीं  हो  पार तुम्हीं
गीता  का   हो   सार तुम्हीं !

मम  जीवन अनुयान  तुम्हीं
विजय  तुम्हीं हो शान तुम्हीं
दशा  तुम्हीं   अवदशा तुम्हीं
होश  तुम्हीं हो  नशा  तुम्हीं
सहर  उठा अजान  हो  तुम
निरवधि दुर्लभ ज्ञान हो तुम
मम    स्वप्न  बाज़ार तुम्हीं
गीता  का   हो  सार तुम्हीं !



_________________________




Monday, March 5, 2012

लक्ष्य अपरछ्न दूर कहीं हो

------------------
 
लक्ष्य अपरछ्न दूर कहीं हो
देखो सही ,नूर कहीं हो
इकरार बेकार होगा अगर
नशे में तुम, चूर कहीं हो
धीरे धीरे खोलो कपाट,खोलो मगर दिल से खोलो I
पाओ कुछ पाओ ,फिर बोलो II

वेद,बाइबिल हो या कुरआन
न मानो यूँ ,किसी की जुबान
लो और फिर महसूस करो
फिर करना तुम विचार प्रदान
मरने से पहले इक बार,तुम खुद का राज टटोलो I
पाओ कुछ पाओ ,फिर बोलो II

द्विष को घाटा खुद से होता
प्रयुत्सु कहीं ध्यान न खोता
क्या माया है, क्या छाया
न जाने जो हरदम सोता
द्वेष भरी दुनिया में तुम,अपने प्रेम की दवा घोलो I
पाओ कुछ पाओ ,फिर बोलो II
----------------------