मेरी नजरें
-RITIK HATIF
Friday, April 15, 2011
भारत की सर जमी.................!!
कुराँ
की
जुबाँ
,
वेदों
की
जतन
बनी
रहे
!
भारत
की
सर
जमी
,
बनी
दुल्हन
बनी
रहे
!!
क्रोध
बला
पे
खींचा
हो
कोई
ऊंचा
न
कोई
नीचा
हो
मन
में
तरंगी
उमंग
रहे
और
हिन्द
पताका
ऊंचा
हो
दौलत
आनी
जानी
है,
बस
मन
की
कंचन
बनी
रहे
!
भारत
की
सर
जमी ,
बनी
दुल्हन
बनी
रहे
!!
इस
पार
गयीं
,
उस
पार
गयीं
न
जाने
किस
किस
पार
गयीं
आवाज़
उठी
जो
आँगन
से
माटी
के
लिए
सौ
बार
गयीं
घर
की
तुलशी
,
माटी
में
चन्दन
बनी
रहे
!
भारत
की
सर
जमी
,
बनी
दुल्हन
बनी
रहे
!!
रूठा
कोई
अपना
छूट
न
जाय
छूटा
कोई
अपना
रूठ
न
जाय
सुनी
सुनाई
बातों
से
बस
प्रेम
की
रेशम
टूट
न
जाय
मत
जुदा
हों
पर,
दिल
की
मिलन
बनी
रहे
!
भारत
की
सर
जमी
,
बनी
दुल्हन
बनी
रहे
!!
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๑۩๑๑۩
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══●
-रितिक 'हातिफ'
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