Wednesday, January 30, 2013

यूँ ही बेवजह..


यूँ ही बेवजह नहीं  गया होगा 
इश्क से बढ़के कुछ रहा होगा 

मिलना ही मुकामे-इश्क नहीं 
कैसे  कह दें, वो बेवफा होगा  

सुबूत  होगा  मेरे  इश्क का 
पलकों से गर कुछ गिरा होगा 

गुरूर  होगा  किसी बात का 
तो जानता हूँ मै वो खफा होगा 

नहीं जानता बेबसी का राज 
तो मेरे नाम पर ही हँसा होगा 

छोड़ दूं उसको तो उसको नहीं 
इश्क  को  मेरा  दगा  होगा .


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