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कोई चन्द खिलौने ले आया है
कोई खेल उसे झुठलाया है
कुछ की अधरों पे नसीबी है
कुछ ने आंसू ही बहाया है
कोई हरदम गम की शोर मचाये
कोई गम को ही मुस्कान बनाये
कुछ पिचकारी की फुहार बनाते
कुछ दरया में ही जा नहाये
कोई मकाँ की मंजिलें बढ़ाये
कोई कर्म से झोपड़ी ही पाये
कुछ औरों में ही उलझते रहे
कुछ खुद में ही गोते लगाये
कोई क्रोध करे लाचारी से
कोई झूठ कहे सुतारी से
कुछ ने मुहब्बत घर लाया
कुछ मरे प्यार की बीमारी से.
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कोई हरदम गम की शोर मचाये
ReplyDeleteकोई गम को ही मुस्कान बनाये
एक सुन्दर प्रस्तुति ....बधाई स्वीकारें ...
http://athaah.blogspot.com/
thnx Rajendra ji
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