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अपनी कुदरत के साथ
ये पृथ्वी
माफताब को लिए हुए
कुछ और आकाशीय पिंडों के साथ
आफताब को घेरने की
कोशिश करती है,
इस तरह के कई समूह
जो अन्तरिक्ष में हैं
मिलकर गैलेक्सी बना देते हैं
और गैलेक्सियां मिलकर
कायनात की भौतिक संरचना
बयां करती हैं,
कायनात की भौतिकता
विशाल होते हुए भी
इंसानी विचारों में
सिमट जाती है,
मगर,सच
अर्थात
'सम्पूर्ण में निहित
सम्पूर्ण के अस्तित्व का ज्ञान'
हमसे अलहदा ही रहता है,
इसी अज्ञानता में
मै इस कायनात को
माँ कहता हूँ
तो अच्छा लगता है
क्यूंकि
इसी की गोद में
ये दुनिया पलती है.
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wah..
ReplyDeletesach baat kahte ho janab sahi tareeke se