Thursday, March 18, 2010

मै दीवाना क्यूँ हो गया

वो दूर खड़ा कोई पास बुलाये
खाना नहीं बस याद खिलाये
या मौला किस्मत में क्या लिख दिया
मिलती नहीं वो,बस याद पिलाये
रगों में मेरे अब तो उसका ही नाम
जुबाँ पर मेरे बस तो उसका ही नाम
ये जर्रा जर्रा डूबा है उसमे
कलम लिखती है मेरी तो उसका ही नाम
ये तन्हाई का कायल मै क्यूँ हो गया
उन बिन वीराना सब क्यूँ हो गया
लोग कहते हैं की ये प्यार का गम है
उफ़ ये दीवाना मै क्यूँ हो गया.

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