मेरी नजरें
-RITIK HATIF
Friday, March 19, 2010
कर मन की गति न्यारी (गीत)
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सब बतियाँ अब दिल में रखियाँ
बाहर की विधि खारी
सुन रे,कर मन की गति न्यारी
गम जो कहेगा तो वो हँसेंगे
तब विपदा हो भारी
सुन रे,कर मन की गति न्यारी
न कर वो जो रंजिश में है
कर जो लगे है प्यारी
सुन रे,कर मन की गति न्यारी .
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1 comment:
Anonymous
March 20, 2010 at 4:44 AM
very very nice!
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very very nice!
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